मुजफ्फरपुर: शराब के नशे में चाइल्ड स्पेशलिस्ट गिरफ्तार, शराबबंदी पर सवाल

मुजफ्फरपुर: शराब के नशे में चाइल्ड स्पेशलिस्ट गिरफ्तार, शराबबंदी पर सवाल

मुजफ्फरपुर, बिहार में सख्त शराबबंदी कानून के बावजूद एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां मोतीपुर थाना क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ. दीपक जैन को शराब के नशे में गिरफ्तार किया गया है। इस घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को स्तब्ध कर दिया है, बल्कि चिकित्सा पेशे की गरिमा और मरीजों के प्रति जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े किए हैं।

जानकारी के अनुसार, डॉ. दीपक जैन अपने क्लिनिक में मरीजों का इलाज कर रहे थे, जब उनके असामान्य व्यवहार ने वहां मौजूद लोगों का ध्यान खींचा। मरीजों और उनके परिजनों को डॉक्टर का व्यवहार संदिग्ध लगा, जिसके बाद स्थानीय लोगों ने तुरंत इसकी सूचना मोतीपुर थाना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस और उत्पाद विभाग की संयुक्त टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए क्लिनिक पर छापेमारी की। मेडिकल जांच में पुष्टि हुई कि डॉ. जैन शराब के नशे में थे, जिसके बाद उन्हें तत्काल हिरासत में ले लिया गया।

शराबबंदी के बावजूद उल्लंघन, समाज में नाराजगी

बिहार में 2016 से लागू शराबबंदी कानून का यह उल्लंघन न केवल कानूनी रूप से गंभीर है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी गहरी चिंता का विषय है। एक चिकित्सक, जिस पर समाज मासूम बच्चों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सौंपता है, का इस तरह नशे में मरीजों का इलाज करना निंदनीय है। स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर गहरा रोष जताया है और चिकित्सा पेशे में ऐसी लापरवाही को लेकर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

पुलिस और उत्पाद विभाग की कार्रवाई

मुजफ्फरपुर उत्पाद पुलिस पदाधिकारी ने बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि मोतीपुर में एक डॉक्टर शराब के नशे में है। हालांकि, जब उनकी टीम मौके पर पहुंची, तब तक स्थानीय पुलिस ने डॉ. जैन को हिरासत में ले लिया था। पुलिस ने आबकारी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच शुरू कर दी है। इस मामले में यह भी जांच की जा रही है कि डॉ. जैन ने शराब कहां से प्राप्त की, क्योंकि बिहार में शराब की बिक्री और खपत पूरी तरह प्रतिबंधित है।

चिकित्सा पेशे पर सवालिया निशान

यह घटना चिकित्सा पेशे की विश्वसनीयता पर एक गंभीर सवाल उठाती है। मरीज और उनके परिजन डॉक्टरों पर भरोसा करते हैं, लेकिन इस तरह की लापरवाही न केवल मरीजों की जान को खतरे में डालती है, बल्कि पूरे चिकित्सा समुदाय की छवि को भी धूमिल करती है। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि इस मामले की गहन जांच हो और दोषी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।