मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन मंदिर विवाद को लेकर विश्व हिंदू परिषद द्वारा आहूत मुजफ्फरपुर बंद का असर आज पूरे जिले में व्यापक रूप से देखने को मिला। मंदिर तोड़े जाने से आक्रोशित हिंदू संगठनों ने सांकेतिक रूप से चार घंटे के लिए बंद का आह्वान किया था, जिसका प्रभाव सुबह से लेकर देर शाम तक शहर के हर कोने में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ। इस बंद को सफल बनाने के लिए सुबह 8 बजे से ही विभिन्न हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए। ज्यादातर दुकानदारों और व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखकर इस आंदोलन के प्रति अपनी सहमति जताई, वहीं कुछ स्थानों पर माइकिंग के जरिए अनुरोध कर दुकानों को बंद कराया गया। इस दौरान कार्यकर्ताओं ने टेंपो चालकों और दुकानदारों को गुलाब का फूल भेंट कर शांतिपूर्ण तरीके से बंद में शामिल होने की अपील की, जिसने न केवल लोगों का ध्यान आकर्षित किया, बल्कि उन्हें इस आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए भावनात्मक रूप से प्रेरित भी किया।
मंदिर के विध्वंस से नाराज हिंदू संगठनों ने एकजुटता का परिचय देते हुए सुबह से ही इस बंद को सफल बनाने का संकल्प लिया। इस आंदोलन की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन भी पूरी तरह सतर्क और मुस्तैद रहा। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुबह 6 बजे से ही शहर की सड़कों पर पुलिस बल की तैनाती शुरू कर दी गई थी। कुल 670 पुलिस पदाधिकारियों को 67 संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया था, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सके। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) स्वयं मैदान में उतरकर स्थिति पर नजर रखे हुए थे, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो। इस बीच, मंदिर नव निर्माण समन्वय समिति के अध्यक्ष आचार्य चंद्र किशोर पाराशर ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा, “हमारी एकमात्र और अटल मांग है कि हमें उसी स्थान पर मंदिर चाहिए, जहां यह पहले से स्थित था। यह हमारा अधिकार है और जब तक यह मांग पूरी नहीं होती, हमारा आंदोलन अनवरत जारी रहेगा।