मेडिकल इंटर्न्स की हड़ताल: बिहार में OPD सेवाएं ठप, सरकार की अनदेखी पर भारी आक्रोश।

मेडिकल इंटर्न्स की हड़ताल: बिहार में OPD सेवाएं ठप, सरकार की अनदेखी पर भारी आक्रोश।

बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस इंटर्न डॉक्टर्स ने आज एकजुट होकर अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इस हड़ताल के चलते राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों में ओपीडी सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं। हालांकि, इंटर्न डॉक्टर्स ने यह सुनिश्चित किया है कि इमरजेंसी, आईसीयू और अन्य जरूरी सेवाएं बिना किसी बाधा के सुचारू रूप से चलती रहें। इस हड़ताल का मुख्य कारण बिहार सरकार द्वारा इंटर्न्स के स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग को लगातार अनदेखा करना है।

पिछले प्रयास और सरकार की अनदेखी
इंटर्न डॉक्टर्स, जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA) और नेशनल मेडिकल ऑर्गनाइजेशन (NMO) ने पिछले 20-25 दिनों में बिहार सरकार को अपनी मांगों से अवगत कराने के लिए कई कदम उठाए। स्वास्थ्य सचिवालय को पत्र लिखा गया, स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की गई और उनकी मांगों को स्पष्ट रूप से रखा गया। इसके बावजूद, सरकार की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। इंटर्न्स का कहना है कि सरकार की इस उदासीनता ने उन्हें मजबूरन हड़ताल का रास्ता अपनाने के लिए विवश किया।

इंटर्न्स की मांग: स्टाइपेंड में वृद्धि
इंटर्न डॉक्टर्स का कहना है कि उनकी ड्यूटी 15-16 घंटे की होती है, फिर भी उन्हें केवल ₹20,000 प्रति माह का स्टाइपेंड मिलता है, जो आज की महंगाई और उनके कार्यभार को देखते हुए बेहद अपर्याप्त है। उनकी मांग है कि स्टाइपेंड को ₹20,000 से बढ़ाकर कम से कम ₹40,000 प्रति माह किया जाए।

इंटर्न्स ने बताया कि पड़ोसी राज्यों में स्थिति कहीं बेहतर है। पश्चिम बंगाल में इंटर्न्स को ₹43,000 और ओडिशा में ₹40,000 प्रति माह का स्टाइपेंड मिलता है। यहां तक कि बिहार सरकार के अधीन आने वाले IGIMS, पटना में भी इंटर्न्स को ₹30,000 प्रति माह का स्टाइपेंड दिया जाता है। इसके अलावा, बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी Resolution no. 125(1) दिनांक 20-02-2014 के अनुसार, प्रत्येक तीन वर्षों में इंटर्न्स के स्टाइपेंड में संशोधन किया जाना अनिवार्य है। आखिरी बार यह संशोधन 2022 में हड़ताल के बाद किया गया था, लेकिन 2025 में तीन साल पूरे होने के बावजूद सरकार ने इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया।

“हमारी डिग्री और काम एक समान, फिर भेदभाव क्यों?”
इंटर्न्स का कहना है कि एक ही डिग्री और समान कार्यभार के बावजूद बिहार सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है। उनकी मांगें जायज हैं, और वे केवल अपने श्रम का उचित मूल्य मांग रहे हैं। हड़ताल के लिए इंटर्न्स ने सरकार को पूरी तरह जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि अगर सरकार समय पर उनकी मांगों को मान लेती, तो ओपीडी सेवाएं बंद करने की नौबत नहीं आती और मरीजों को बिना इलाज के घर नहीं लौटना पड़ता।

अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी
इंटर्न डॉक्टर्स ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, ओपीडी सेवाएं अनिश्चितकाल के लिए बंद रहेंगी। इस दौरान मरीजों को होने वाली असुविधा के लिए वे सरकार को जिम्मेदार मानते हैं।

मरीजों और जनता से अपील
इंटर्न्स ने मरीजों और आम जनता से अपील की है कि वे उनकी इस लड़ाई को समझें और समर्थन करें। उनका कहना है, “हम मरीजों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन हमारी मेहनत का उचित सम्मान और आर्थिक सहायता मिलना भी जरूरी है। हम चाहते हैं कि सरकार हमारी मांगों को गंभीरता से ले और जल्द से जल्द इस मुद्दे का समाधान करे।”

निष्कर्ष
बिहार के मेडिकल इंटर्न्स की यह हड़ताल न केवल उनके अधिकारों की लड़ाई है, बल्कि यह सवाल भी उठाती है कि आखिर क्यों सरकार अपने ही नियमों का पालन करने में विफल रही है। मरीजों को हो रही परेशानी के बीच यह जरूरी है कि सरकार तुरंत इस मुद्दे पर ध्यान दे और इंटर्न्स की जायज मांगों को पूरा करे, ताकि मेडिकल सेवाएं सामान्य हो सकें।