राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) और बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने बिहार के श्रमायुक्त और मोतिहारी के जिलाधिकारी को नोटिस जारी कर 27 मई 2025 तक जवाब मांगा है। यह नोटिस पूर्वी चम्पारण जिले के पिपरा थाना क्षेत्र के चकवारा बखरी गांव निवासी स्वर्गीय मदन कुमार प्रसाद के परिवार को ई-श्रम कार्ड के तहत बीमा और पारिवारिक पेंशन के लाभ से वंचित रखने के मामले में जारी किया गया है।
मदन कुमार प्रसाद, जो एक ई-श्रम कार्ड धारक थे, की मृत्यु पहले हो चुकी है। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके परिवार को बीमा और पारिवारिक पेंशन का लाभ नहीं मिला है। पीड़ित परिवार ने मोतिहारी के जिलाधिकारी कार्यालय सहित अन्य सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए, लेकिन कोई राहत नहीं मिली। थक-हारकर परिवार ने मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा के माध्यम से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं।
इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के श्रमायुक्त और मोतिहारी के जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने दोनों अधिकारियों से मामले में चार सप्ताह के भीतर विस्तृ
मानवाधिकार अधिवक्ता का बयान:
पीड़ित परिवार की ओर से पैरवी कर रहे मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने कहा, “यह मामला मानवाधिकार उल्लंघन की अत्यंत गंभीर श्रेणी में आता है। मृतक का परिवार अत्यंत गरीब है और उनकी आजीविका के लिए बीमा और पेंशन महत्वपूर्ण हैं। मृतक मदन कुमार प्रसाद की हत्या से संबंधित मामला अभी जांच के अधीन है। ऐसे में उनके परिवार को बीमा और पारिवारिक पेंशन से वंचित रखना अत्यंत दुखद और निंदनीय है। हमें पूर्ण विश्वास है कि मानवाधिकार आयोग के हस्तक्षेप के बाद पीड़ित परिवार को शीघ्र ही उनका हक मिलेगा।
परिवार की स्थिति:
मदन कुमार प्रसाद के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है। मृतक की हत्या से संबंधित जांच अभी चल रही है, जिसके कारण परिवार और अधिक संकट में है। सरकारी सहायता और पेंशन के अभाव में परिवार का जीवनयापन और कठिन हो गया है।
आयोग का कदम:
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए त्वरित कार्रवाई की है। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि पीड़ित परिवार के अधिकारों का हनन न हो और उन्हें तत्काल सहायता प्रदान की जाए। आयोग की इस कार्रवाई से परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है।
अगले कदम:
मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने बताया कि वे आयोग में मामले की पैरवी जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ित परिवार को उनका वैधानिक हक मिले। इस मामले में आयोग की अगली सुनवाई और अधिकारियों की रिपोर्ट पर सभी की नजरें टिकी हैं।