मुजफ्फरपुर में एक होनहार युवा डॉक्टर की दर्दनाक मौत ने पूरे परिवार को सदमे में डाल दिया है। आगरा से एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के महज एक महीने बाद अशोका अस्पताल में ट्रेनिंग ले रहे 25 वर्षीय डॉक्टर आशुतोष चंद्रा ने शुक्रवार शाम को अपने घर के स्टडी रूम में पिता की लाइसेंसी राइफल से सिर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस जांच में सामने आया है कि पीजी एंट्रेंस परीक्षा में असफलता के कारण वह गहरे डिप्रेशन में थे। यह घटना न केवल परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है, बल्कि मेडिकल फील्ड में बढ़ते मानसिक स्वास्थ्य संकट की ओर भी इशारा करती है। परिजनों के अनुसार, आशुतोष हमेशा हंसमुख और जिज्ञासु स्वभाव के थे। वह परिवार के इकलौते बेटे थे और दो बहनों के साथ मिलकर घर का माहौल हमेशा खुशहाल रखते थे।
पिता अविनाश चंद्रा, जो कांटी और दीघरा में पेट्रोल पंप चलाते हैं, ने बताया, “रोजाना सुबह-शाम वह मेरा बीपी चेक करते थे। हम साथ बैठकर खाना खाते थे। शुक्रवार को अस्पताल से लौटने के बाद मां-दादी के साथ नाश्ता किया, फिर पढ़ाई के बहाने कमरे में चले गए। रात 7:30 बजे गोली की आवाज सुनकर दौड़े तो दरवाजा अंदर से बंद था। अंदर खून से लथपथ शव देखकर बहन बेहोश हो गई। आशुतोष ने ड्यूटी से पहले बहन को फोन कर खीर बनाने को कहा था, जो उनकी आखिरी ख्वाहिश बन गई। खीर तैयार तो हो गई, लेकिन घर में मातम छा गया।
घटना जैतपुर स्टेट कॉलोनी, काजी मोहम्मदपुर थाना क्षेत्र की है। पुलिस को मौके पर कोई सुसाइड नोट नहीं मिला, लेकिन जांच में पता चला कि आशुतोष ने आधा घंटा पहले मौसेरे भाई को व्हाट्सऐप पर मैसेज किया था, “मैं सुसाइड करने जा रहा हूं।” राइफल पिता के नाम रजिस्टर्ड थी, जिसका लाइसेंस हाल ही में रिन्यू कराया गया था। पुलिस ने राइफल से फंसी गोली, मोबाइल और टैब जब्त कर लिए हैं। एफएसएल टीम ने भी साइट का मुआयना किया।
सिटी एसपी कोटा किरण कुमार ने बताया, “प्रारंभिक जांच में डिप्रेशन ही मुख्य कारण लग रहा है। एमबीबीएस के बाद पीजी परीक्षा में दिक्कत आने से वह परेशान थे। सभी पहलुओं पर जांच जारी है।” साथी डॉक्टरों ने आशुतोष को ‘फ्री माइंड’ और उत्साही बताया। अस्पताल के सीनियर डॉक्टर के मुताबिक, शुक्रवार को भी उन्होंने मरीजों की दवाओं पर सवाल पूछे थे। बड़ी बहन डॉ. अपराजिता शहर में क्लीनिक चलाती हैं, जबकि छोटी बहन रांची में जूनियर डॉक्टर हैं। शनिवार को पैतृक गांव हरिशंकर मनियारी में अंतिम संस्कार किया गया। रविवार को छोटी बहन को दिल्ली छोड़ने का प्लान था, लेकिन अब सब कुछ बदल गया।
यह घटना मेडिकल छात्रों के बीच बढ़ते दबाव को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि एमबीबीएस के बाद पीजी की होड़ में कई युवा मानसिक तनाव का शिकार हो रहे हैं। परिवार और पुलिस ने अपील की है कि युवाओं को समय पर काउंसलिंग उपलब्ध कराई जाए, ताकि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।