बिहार सैन्य पुलिस केंद्र-6 और पुलिस लाइन, मुजफ्फरपुर में “जीविका दीदी की रसोई” का भव्य शुभारंभ।

बिहार सैन्य पुलिस केंद्र-6 और पुलिस लाइन, मुजफ्फरपुर में “जीविका दीदी की रसोई” का भव्य शुभारंभ।

“जीविका दीदी की रसोई” अब केवल भोजन केंद्र नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की खुशबू फैलाने वाली रसोई बन चुकी है।

मुजफ्फरपुर, 21 जुलाई 2025: नारी सशक्तिकरण की दिशा में जीविका द्वारा उठाए जा रहे कदमों ने एक नया मुकाम हासिल किया है। बिहार सैन्य पुलिस केंद्र-6 (बीएमपी-6) और पुलिस लाइन, मुजफ्फरपुर में “जीविका दीदी की रसोई” का भव्य शुभारंभ किया गया। यह पहल न केवल प्रशिक्षणार्थी पुलिस जवानों को स्वच्छ, पौष्टिक और संतुलित भोजन उपलब्ध कराएगी, बल्कि जीविका दीदियों के लिए स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता का एक मजबूत मंच भी प्रदान करेगी।

इस शुभारंभ समारोह में जीविका के नॉन-फार्म मैनेजर विकास कुमार, कैंटीन मैनेजर सोनू कुमार, विवेक आनंद, सर्वोतम और उत्तम जीविका संकुल स्तरीय संघ की प्रतिनिधि दीदियाँ, और चयनित जीविका रसोई दीदियाँ उपस्थित थीं। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों ने जीविका की इस पहल को सराहा और इसे महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम बताया।

स्वास्थ्यवर्धक भोजन और महिला सशक्तिकरण का अनूठा संगम
“स्वास्थ्यवर्धक भोजन किसी भी प्रशिक्षण का आधार होता है। जब स्थानीय महिलाएँ इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए आगे आती हैं, तो यह न केवल उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी प्रतीक बनता है,” समारोह में उपस्थित एक वक्ता ने कहा। उन्होंने जीविका के इस मॉडल को अन्य प्रशिक्षण संस्थानों के लिए अनुकरणीय बताते हुए इसके व्यापक प्रभाव की उम्मीद जताई।

जीविका की जिला परियोजना प्रबंधक अनिशा ने बताया, “हमारा मुख्य लक्ष्य ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है। ‘जीविका दीदी की रसोई’ जैसी पहल इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” उन्होंने यह भी जानकारी दी कि रसोई में कार्यरत सभी दीदियों को स्वच्छता, पोषण, खाद्य गुणवत्ता, और सुरक्षा मानकों पर आधारित विशेष प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि जवानों को उच्च गुणवत्ता वाला भोजन मिल सके।

800 प्रशिक्षणार्थियों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन
“जीविका दीदी की रसोई” में प्रतिदिन लगभग 800 प्रशिक्षणार्थियों के लिए भोजन तैयार किया जा रहा है। भोजन को पौष्टिक, सुपाच्य और संतुलित बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। स्वच्छता के उच्च मानकों का पालन करते हुए, सभी दीदियाँ भोजन तैयार करने और परोसने के दौरान एप्रन और स्वच्छ वस्त्रों का उपयोग कर रही हैं। यह सुनिश्चित करता है कि भोजन न केवल स्वादिष्ट हो, बल्कि सुरक्षित और स्वच्छ भी हो।

साझेदारी का सकारात्मक प्रभाव
यह पहल सरकारी विभागों और समुदाय आधारित संगठनों के सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। “जीविका दीदी की रसोई” न केवल प्रशिक्षणार्थियों के लिए सुविधाजनक भोजन व्यवस्था सुनिश्चित कर रही है, बल्कि ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण और सामाजिक सम्मान का अवसर भी प्रदान कर रही है। यह मॉडल आत्मनिर्भरता और सामुदायिक विकास की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम है, जिसके दूरगामी और सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद की जा रही है।