मुजफ्फरपुर, आरडीएस कॉलेज में आजादी के अमृत महोत्सव के पावन अवसर पर स्वराज के प्रणेता लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की स्मृति में “सामुदायिक विकेंद्रित जल प्रबंधन” विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में भारत के जल पुरुष, मैग्सेसे पुरस्कार एवं जलक्षेत्र के नोबेल स्टॉकहोम जल पुरस्कार से पुरस्कृत राजेंद्र सिंह ने कहा कि नदी हमारी मां है इसकी सेवा करना हमारा कर्तव्य है।
इसके बिना सृष्टि की कल्पना नहीं की जा सकती। आज सरकारों द्वारा नदी का शोषण किया जा रहा है। उन पर डैम बनाकर उनकी स्वतंत्रता छीनी जा रही है। नदियों के सूखने या नदियों में बाढ़ आने से सभ्यताएं भी नष्ट हो रही है। दुनिया में लगातार बढ़ रहे जल संकट से मानवता खतरे में है। हम कह सकते हैं कि 21वीं शताब्दी संकट की शताब्दी है। बिहार में बाढ़ की स्थितियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नदियों को चिन्हित करना होगा। उन्हें उनकी जगह को देना होगा। उसके गाद को निकालना होगा। जब हम नदियों का दर्द जानेंगे तभी नदियों का ठीक तरह से संरक्षण भी कर सकते हैं।
राजेंद्र ने बताया कि उन्होंने 1980 के दशक में पानी के संकट पर काम करना शुरू कर दिया था। “तरुण भारत संघ”की स्थापना के साथ जल संरक्षण कार्यक्रम पर तेजी आई। जल, शिक्षा और स्वास्थ्य का प्रबंधन समाज के हाथ में होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रकृति हमारी लालच को पूरा नहीं कर सकती। प्रकृति के संग जीने की आदत हमें डालनी होगी। पूरी दुनिया में जल संकट का सामना कर रहे लोगों को कॉर्पोरेट द्वारा प्रस्तावित धन और तकनीकी समाधानों का विरोध करना चाहिए। जल संरक्षण के स्थानीय और पारंपरिक तरीके को अपनाने की जरूरत है।
अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ अमिता शर्मा ने आगत अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कहा कि राजेंद्र जी के द्वारा चलाए जा रहे जल और पर्यावरण संरक्षण को गति प्रदान करने की जरूरत है। स्मार्ट सिटी बनाने के अभियान में वृक्षों को काटा जा रहा है। अतः इस प्रोजेक्ट में हरियाली को तवज्जो देने की जरूरत है।
जलपुरुष डॉ राजेंद्र के नेतृत्व में आरडीएस कॉलेज एनएसएस इकाई ने “मिशन लाइफ कार्यक्रम” के अंतर्गत साप्ताहिक पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत की। इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण को लेकर शपथ लिए गये। मौके पर डॉ राजेंद्र के द्वारा कॉलेज वाटिका में वृक्षारोपण भी किया गया। पर्यावरण संरक्षण के तहत एनएसएस के बच्चों को पेंटिंग और डिबेट के लिए पुरस्कृत भी किया गया।
जल पुरुष राजेंद्र सिंह द्वारा नदियों की यात्रा पर लिखित पुस्तक “सभ्यता की सूखती सरिता” का लोकार्पण भी किया गया।
इस अवसर पर अन्य वक्ताओं में विश्व शांति निकेतन के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ सुभाष राय, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास दिल्ली के अध्यक्ष नीरज कुमार, समाजसेवी अविनाश तिरंगा, डॉ अजीत कुमार, डीएसडब्ल्यू डॉ अभय कुमार, डॉ अरुण कुमार, डॉ विकास नारायण उपाध्याय, अमित कुमार, डॉ प्रमोद कुमार, डॉ राजीव कुमार, डॉ पयोली, डॉ मीनू कुमारी, डॉ ललित किशोर, डॉ गणेश शर्मा ने भी अपने विचार रखें। मंच संचालन युवा कवि एवं साहित्यकार डॉ संजय पंकज ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन डीएसडब्ल्यू डॉ अभय कुमार ने किया।