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मुजफ्फरपुर -बिहार लोक सेवा आयोग की 67वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक मामला अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग पहुँच गया है। मामले को लेकर मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली एवं बिहार मानवाधिकार आयोग पटना के समक्ष दो अलग-अलग याचिका दायर किया है।

विदित हो कि बिहार में पहली बार बीपीएससी के प्रश्नपत्र लीक का मामला सामने आया है, जिसको लेकर बीपीएससी के द्वारा परीक्षा को रद्द कर दिया गया है। बताते चले कि इस बार सर्वाधिक 6.2 लाख आवेदन जमा हुए थे, जिसमें 5 लाख से अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए थे। अधिवक्ता श्री झा ने बताया कि भीषण गर्मी के बावजूद सैकड़ो किलोमीटर की यात्रा करके अभ्यर्थी परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे थे, लेकिन प्रश्न पत्र लीक होने के कारण उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया.

जो अभ्यर्थियों के मानवाधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि पेपर लीक होने व पीटी रद्द होने से अभ्यर्थियों का समय बर्बाद हुआ है तथा अभ्यर्थियों को आर्थिक क्षति भी हुई है. जिस कारण अभ्यर्थी शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से प्रताड़ित महसूस कर रहे हैं, जो मानवाधिकार का उल्लंघन है। सही तरीके से परीक्षा का आयोजन करने की जिम्मेवारी सरकार की है। लेकिन सरकार की जो व्यवस्था है, उस व्यवस्था के द्वारा सही से परीक्षा का आयोजन नहीं किया गया है.

जिस कारण अभ्यर्थियों के जीवन का अमूल्य समय बर्बाद हुआ है, जिसकी भरपाई कदापि नहीं की सकती है। साथ ही बीपीएससी जैसी परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक होने के कारण बिहार लोक सेवा आयोग जैसी शीर्ष संस्था के प्रति विश्वसनीयता में भी कमी आयी है। उन्होंने मानवाधिकार आयोग से आग्रह किया है कि मामले की गंभीरतापूर्वक व निष्पक्ष जांच की जाए।

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