मुजफ्फरपुर, 21 मई 2025: जिला उपभोक्ता आयोग ने एक फ्लैट निर्माण कंपनी के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के उल्लंघन के लिए कंपनी पर 2 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह मामला खबड़ा निवासी अभिलाषा कुमारी की शिकायत से संबंधित है, जिन्होंने उर्मिला होम्स जेबी द्वारा निर्मित विजय एन्क्लेव में एक 3 बीएचके फ्लैट खरीदा था। मामले की पैरवी मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने की।
मामले का विवरण
अभिलाषा कुमारी ने 6 दिसंबर 2021 को मुजफ्फरपुर के सदर थाना क्षेत्र अंतर्गत खबड़ा में उर्मिला होम्स जेबी द्वारा निर्मित विजय एन्क्लेव में 43,21,200 रुपये में एक 3 बीएचके फ्लैट खरीदा था। फ्लैट में रहना शुरू करने के बाद उन्होंने पाया कि कंपनी द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरणिका और एग्रीमेंट में वर्णित सुविधाओं का अभाव है। इस संबंध में कंपनी से शिकायत करने के बावजूद कोई समाधान नहीं हुआ।
निराश होकर अभिलाषा ने 13 जून 2022 को अधिवक्ता एस.के. झा के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दर्ज किया। परिवाद में चार पक्षकारों को नामजद किया गया:
• प्रबंध निदेशक, उर्मिला होम्स जेबी, मुजफ्फरपुर
• पुरुषोत्तम पाण्डेय (पार्टनर नंबर 1)
• अनुपम कुमार (पार्टनर नंबर 2)
• राकेश रंजन (पार्टनर नंबर 3)
आयोग का फैसला
आयोग ने सुनवाई के बाद पाया कि फ्लैट निर्माण कंपनी ने उपभोक्ता को एग्रीमेंट के अनुसार सुविधाएं प्रदान नहीं कीं, जो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है। आयोग की पीठ, जिसमें अध्यक्ष पियूष कमल दीक्षित और सदस्य सुनील कुमार तिवारी शामिल थे, ने 15 अप्रैल 2025 को आदेश पारित किया। आदेश में कहा गया कि:
• कंपनी को फ्लैट में किए गए निर्माण कार्यों की मरम्मत करनी होगी।
• एग्रीमेंट में उल्लिखित बाकी निर्माण कार्य पूरे करने होंगे।
• यह कार्य 45 दिनों के भीतर पूरा करना होगा।
यदि कंपनी इस अवधि में आदेश का पालन नहीं करती, तो उसे पीड़िता को 2 लाख रुपये हर्जाने के रूप में, 10,000 रुपये वाद खर्च के रूप में, और 6% वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान करना होगा। इसके बाद भी अनुपालन न होने पर कुल 2,10,000 रुपये का भुगतान 9% वार्षिक ब्याज के साथ करना होगा। यह राशि अभिलाषा कुमारी को प्राप्त होगी। आदेश की सत्यापित प्रति 20 मई 2025 को पीड़िता को सौंपी गई।
अधिवक्ता का बयान
मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता एस.के. झा ने बताया कि यह मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी से संबंधित था। उन्होंने कहा, “आयोग का यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण है। हम इस निर्णय से पूरी तरह संतुष्ट हैं।
उपभोक्ता अधिकारों की जीत
यह मामला उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और निर्माण कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। आयोग का यह फैसला अन्य उपभोक्ताओं के लिए भी एक मिसाल बनेगा।