मुजफ्फरपुर, कोरोना की जांच के लिए जिनको जवाबदेही सौंपी गई थी उन लोगों ने ही आपदा को कमाई का जरिया बना लिया। सरकारी एंटीजन किट, सैनिटाइजर, ग्लब्स एवं अन्य सामान की कालाबाजारी के भंडाफोड़ के बाद पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में है। जैसे-जैसे जांच का दायरा बढ़ेगा, कई चेहरों से नकाब उतरने की उम्मीद जताई जा रही है।

मुख्य गोदाम का ताला बंद रखने का आदेश

इस घटना के बाद सिविल सर्जन डॉ.एसके चौधरी ने जिला कोरोना जांच के नोडल पदाधिकारी डॉ.अमिताभ सिन्हा, को-ऑर्डिनेटर मनोज कुमार संग बैठक कर तत्काल मुख्य गोदाम का ताला बंद रखने व नए सिरे से सभी कागजात अपडेट करने का आदेश दिया है। नशा मुक्ति केंद्र पर तत्काल व्यवस्था बदलते हुए एलटी बाबू साहब को प्रभार दिया गया है।

सदर अस्पताल के लेखापाल विपिन पाठक ने रजिस्टर व अन्य स्टेशनरी सामान देकर दोपहर के बाद जांच शुरू कराई। को-ऑर्डिनेटर मनोज कुमार ने बताया कि अचानक जांच के प्रभारी लैब टेक्नीशियन को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इससे सुबह से लेकर दोपहर तीन बजे तक जांच प्रभावित रही।

सेंट्रल गोदाम के प्रभारी से पूछताछ, रजिस्टर का किया मिलान

सदर अस्पताल स्टोर प्रभारी शशि रंजन से पुलिस की टीम ने पूछताछ की। स्टोर रूम से कोरोना जांच के लिए रिलीज हो रही एंटीजन किट का चालान, रिलीज ऑर्डर व वाउचर भी पुलिस ले गई है। पुलिस पूछताछ में स्टोर प्रभारी ने बताया कि सदर अस्पताल में चल रही कोरोना जांच के लिए एक हजार किट हर दिन रिलीज होती थी। इसके अलावा घरों पर जाकर जांच करने के लिए डिमांड के अनुसार किट उपलब्ध कराई जाती थी। रंजन ने बताया कि नशा मुक्ति के नोडल पदाधिकारी के आदेश पर वह किट देते हैं।

वहां से निजी अस्पतालों में किट की बिक्री की जा रही थी। फिलहाल पुलिस व सिविल सर्जन स्तर पर जांच चल रही है। इसके साथ यह बात भी सामने आ रही है कि बिना जांच के पोर्टल पर फर्जी रिपोर्ट देकर किट को इधर से इधर तो नहीं किया जा रहा था।

हाजीपुर तक फैला था किट बेचने का रैकेट

एंटीजन किट के रैकेट के तार वैशाली जिले से जुड़ गए हैैं। पुलिस को जो प्रारंभिक जानकारी मिली है उसके हिसाब से लैब टेक्नीशियन लव कुमार मुजफ्फरपुर से लेकर हाजीपर तक किट की गैैरकानूनी तरीके से आपूर्ति करता था। सुस्ता स्थित ससुराल में किट की कालाबाजारी का काम संजय देख रहा था। हाजीपुर में किसे कितनी किट देनी है यह जवाबदेही उसकी ही थी। पुलिस ने जब लव कुमार और दीपक से सख्ती से पूछताछ की तो ये बाते सामने आईं कि शहरी क्षेत्र में निजी कंपाउडर जो बीमार लोगों की घर पर जाकर जांच करते थे। उसने किट का सौदा लव खुद करता था। वह नशा मुक्ति जांच केंद्र से देर शाम निकलते समय किट की आपूर्ति करता था।

जूरन छपरा, कलमबाग व अघोरिया बाजार से आते थे कंपाउंडर

कलमबाग चौक, अघोरिया बाजार, जूरन छपरा के दर्जनों अस्पताल के कंपाउंडर लव कुमार से किट खरीदकर ले जाते थे। जानकारों की मानें तो सरकार की ओर से निशुल्क मिलने वाली किट तीन से चार सौ में बेची जाती थी। उसके बाद कंपाउंटर किसी के घर पर जांच करने गया तो उससे पांच सौ से एक हजार रुपये तक लेता था।

फर्जी नाम, पता व मोबाइल नंबर भर चल रहा था खेल

सदर अस्पताल व सकरा पीएचसी में जांच के लिए जो फॉर्म भरे जाते उनमें फर्जी नाम, पता और मोबाइल नंबर अंकित कर एंटीजन किट बचत करने का खेल चल रहा था। जांच रिपोर्ट पर निगेटिव अंकित कर दिया जाता था। इससे जो किट बचती थीं उसे एंबुलेंस से सुस्ता के संजय ठाकुर के घर पहुंचा दी जाती थीं। अब पुलिस शहरी क्षेत्र में किट कहा छिपाकर रखी जाती थी उसका अड्डा तलाश रही है।

इन बिंदुओं पर चल रही छानबीन

– पुलिस सदर अस्पताल स्थिति नशा मुक्ति केंद्र जहां किट रखी जाती थी वहां की तलाशी ली। जांच किए गए फॉर्म पर निगेटिव लिखा पाया गया है। उनको पुलिस अपने साथ ले गई है। उस पर अंकित मोबाइल नंबर के आधार पर सत्यापन किया जाएगा।

– एक साल में कितनी किट मिलीं और कितने की जांच हुई।

बीडीओ से निजी अस्पतालों की कराई जांच

सकरा में निजी अस्पतालों के संचालकों द्वारा ऑक्सीजन सिलेंडर व एंटीजन कीट की कालाबाजारी की सूचना ग्रामीणों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी आनंद मोहन को दी थी। इस पर उन्होंने शनिवार को सकरा के आधा दर्जन निजी अस्पतालों की जांच कराई थी। इसमें कई अस्पतालों के अवैध रूप से संचालन की बात सामने आई है। ग्रामीणों ने बीडीओ से कहा था कि करीब दर्जनभर से अधिक नॄसग होम के चिकित्सक फर्जी हैं। बीडीओ ने अस्पताल संचालकों को अविलंब नॄसग होम संचालन के लिए आवश्यक कागजात उपलब्ध कराने का आदेश दिया है।

इनपुट : जागरण

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