मनियारी (मुजफ्फरपुर), कुढनी प्रखंड अंतर्गत छितरौली पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि ग्रामीण जयपत कुंवर ने चार दशक पूर्व श्री शंकर जी भगवान जी महाराज विराजमान के नाम खाता 519, खेसरा 462, रकबा 162 डिसमल जमीन मंदिर के नाम कर दी थी। तब से ग्रामीण यहां पूजा-पाठ करती आ रहीं थीं। ग्रामीणों का कहना है कि इधर फर्जी तरीके से उक्त मंदिर की 10 धूर जमीन बेच दी गई है।

जिसके बाद मंदिर परिसर में ट्रैक्टर से मिट्टी भराई शुरू कर दी गई। बीते तीन जून को संबंधित अधिकारियों से लेकर जिलाधिकारी तक 117 ग्रामीणों के संयुक्त हस्ताक्षर युक्त एक आवेदन बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड को भी भेजते हुए जमीन को फर्जी तरीके से बेचे जाने की जांच कराने की मांग की गई थी। इधर गुरुवार को जिला मुख्यालय से पहुंची अधिकारियों की टीम ने जांच की और संबंधित पक्ष को कागजात लेकर अनुमंडल पदाधिकारी को कार्यालय में दिखाने का निर्देश दिया है।

ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक स्थानीय जयपत कुंवर ने अपनी पुस्तैनी जमीन जिसका खाता 519 , खेसरा 462 ,रकबा 162 डिसमल है, उसमें मंदिर की स्थापना कर स्वयं पूजारी के रूप में पूजा-पाठ करती थीें। वहीं उसी परिसर मे सटे ही हनुमान मंदिर ग्रामीणों के सहयोग से निर्माण कराया गया है। बाद में जयपत कुंवर के पति रामलखन तिवारी का स्वर्गवास हो गया। इसके बाद उन्होंने अपनी चल-अचल संपत्ति भगवान को समर्पित कर दी।

15 बर्ष पूर्व उनका भी देहांत हो गया। इसके बाद पूजा-पाठ एवं भोग लगाने के लिए कई पूजारी आए और अब वर्तमान पूजारी राजीव तिवारी भगवान की सेवा एवं अचल संपत्ति की देखरेख करते हैं। ग्रामीण कहते हैं कि जयपत कुंवर की कोई संतान नहीं थी। परंतु उनके मरणोपरांत कई वर्षो के बाद फर्जी संतान बनकर आईं एक महिला ने 28 जुलाई 2021 को मंदिर परिसर की 10 धूर जमीन बेच दी। इधर गुरुवार को हुई जांच के बाद उक्त जमीन पर फिलहाल मिट्टी भराई कार्य रुका हुआ है।

इनपुट : जागरण

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