मुजफ्फरपुर, 6 जुलाई 2025: भाकपा-माले (CPI-ML) और इंडिया गठबंधन के आह्वान पर मुजफ्फरपुर में ‘मताधिकार बचाओ-लोकतंत्र बचाओ’ अभियान की शुरुआत की गई है। यह अभियान विशेष मतदाता पुनरीक्षण को ‘वोटबंदी की साजिश’ करार देते हुए इसके खिलाफ जन जागरूकता और आंदोलन को तेज करने के लिए शुरू किया गया है। भाकपा-माले ने 9 जुलाई को आम हड़ताल के दौरान शहर और प्रखंडों में प्रतिवाद मार्च और चक्का जाम का ऐलान किया है।
जुलाई में सघन जनसंपर्क और आंदोलन की योजना
भाकपा-माले की जिला कमिटी की बैठक में इस अभियान को व्यापक रूप देने का निर्णय लिया गया। बैठक में तय हुआ कि पूरे जुलाई माह में गांवों और मुहल्लों में जनसभाएं, पर्चा वितरण, नुक्कड़ सभाएं, प्रभात फेरी और प्रतिवाद मार्च आयोजित किए जाएंगे। 9 जुलाई को भाकपा-माले कार्यकर्ता और समर्थक ट्रेड यूनियनों, किसान संगठनों, स्कीम वर्कर्स और छात्र-नौजवान संगठनों के साथ मिलकर झंडा-बैनर के साथ सड़कों पर उतरेंगे और चक्का जाम करेंगे।
वोटबंदी को गरीबों के खिलाफ साजिश करार
बैठक में नेताओं ने कहा कि विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान के नाम पर गरीबों, मजदूरों, युवाओं, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को मतदाता सूची से हटाने की साजिश रची जा रही है। इस अभियान में मांगे जा रहे दस्तावेज, जैसे आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, मनरेगा मस्टर रोल और जाति प्रमाण पत्र, को अमान्य करार देना गरीबों और ग्रामीणों को वोटिंग अधिकार से वंचित करने की कोशिश है। नेताओं ने सवाल उठाया कि जब आधार कार्ड को पहले मतदाता पहचान पत्र से जोड़ा गया था, तो अब इसे क्यों खारिज किया जा रहा है? साथ ही, आयोग द्वारा मांगे गए 11 दस्तावेजों में से तीन बिहार में लागू ही नहीं हैं, जिससे सवाल उठता है कि चुनाव आयोग किसके इशारे पर काम कर रहा है?
बीजेपी-जदयू पर तीखा हमला
भाकपा-माले ने बीजेपी-जदयू की एनडीए सरकार पर इस जनविरोधी प्रक्रिया का समर्थन करने का आरोप लगाया। नेताओं ने दलितों के हितों की बात करने वाले जीतनराम मांझी और चिराग पासवान से सवाल किया कि वे इस ‘वोटबंदी’ पर चुप क्यों हैं, जबकि इसका सबसे ज्यादा असर दलित और गरीब समुदायों पर पड़ रहा है।
10 दिन में केवल 7% प्रपत्र भरे गए
माले नेताओं ने बताया कि पुनरीक्षण अभियान के 10 दिन बीतने के बावजूद केवल 7% मतदाताओं के फॉर्म भरे गए हैं। इस धीमी गति से करोड़ों मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं। माले ने मांग की है कि इस प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए और आगामी विधानसभा चुनाव पुरानी मतदाता सूची के आधार पर कराए जाएं।
आगे और तेज होगा आंदोलन
भाकपा-माले ने चेतावनी दी कि यदि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को वापस नहीं लिया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। 9 जुलाई को इंडिया गठबंधन के आह्वान पर मजदूर-किसानों की आम हड़ताल के समर्थन में राज्यव्यापी चक्का जाम किया जाएगा।