कोविड-19 टास्क फोर्स के मुखिया डॉ.वीके पॉल ने घर के अंदर भी मास्क पहनने की सलाह दी है। ऐसा क्यों? इसलिए कि कोरोना मरीज और बगैर लक्षण वाले कोविड-19 टास्क फोर्स के मुखिया डॉ.वीके पॉल ने घर के अंदर भी मास्क पहनने की सलाह दी है।संक्रमित इसका संक्रमण न फैला पाएं। चूंकि, ऐसे लोग बीमार नहीं पड़ते, इसलिए वे जांच भी नहीं कराते। नतीजतन कोरोना उन्हें बगैर नुकसान पहुंचाए उनके शरीर से होकर गुजर जाता है। पर इस दौरान वे अनगिनत लोगों को बुरी तरह बीमार कर सकते हैं।

दरअसल, कोरोना अमूमन बीमार शख्स की सांस के साथ निकलने वाले महीन कणों/कणों के जरिए फैल जाता है। संक्रमित जब छींकता या खांसता है और यहां तक कि जब वह चिल्लाता है या गाना गाता है तो उसकी सांस के साथ वही महीन बूंदें निकलती हैं। ये आस-पास मौजूद अन्य लोगों में नाक या मुंह से सांस के जरिए प्रवेश कर जाती हैं, जिसके बाद लोग संक्रमित हो जाते हैं।

डॉ पॉल ने कहा था कि ऐसे बगैर लक्षण वाले लोगों की संख्या काफी बड़ी है, जो खुद को बीमार न मानते हुए दूसरों को प्राणघातक संक्रमण दे सकते हैं। अगर ऐसा आदमी किसी परिवार में है तो वह अनेक घर वालों को भी बीमार कर सकता है। ऐसे मामले बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं, जिनमें पूरा का पूरा परिवार संक्रमित हो गया है, जबकि ज्यादातर लोग घर के बाहर निकले ही नहीं। उदाहरण के तौर पर मान लें कि एक आदमी बाहर गया। संक्रमित हुआ, पर उसे न तो बुखार हुआ और न ही खांसी आई। यानी खुद को बाहरी तौर पर कुछ नहीं हुआ, पर परिवार के बाकी लोग संक्रमित होकर बुरी तरह बीमार हो गए।

सरकार ने घर में मास्क पहनने की सलाह के साथ एक अमेरिकी रिसर्च का हवाला भी दिया। रिसर्च के मुताबिक, अगर दो व्यक्ति छह फुट की दूरी से मास्क लगा कर बात कर रहे हैं तो संक्रमण होने की आशंका लगभग शून्य रहती है। अगर इन्हीं दो व्यक्तियों में केवल संक्रमित व्यक्ति ने मास्क पहना है तो दूसरे के संक्रमित होने का खतरा पांच प्रतिशत होता है। अगर केवल संक्रमित व्यक्ति ने मास्क पहना है तो संक्रमण का खतरा 30 प्रतिशत होता है और अगर संक्रमित व असंक्रमित दोनों ने मास्क नहीं लगाया है, तब रोग फैलने की आशंका 90 प्रतिशत होती है।

Input: jansatta

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