ब्रिटेन में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के मिलने के बाद यूरोप समेत दुनिया के दूसरे देशों में हड़कंप मचा हुआ है. इससे भारत भी अछूता नहीं है.

भारत सरकार ने ब्रिटेन से आने वाली सभी फ्लाइट 31 दिसंबर तक रोक दी है. इसके पहले यूरोप और दुनिया के कई दूसरे देशों ने भी ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट अस्थाई तौर पर बंद करने का फैसला लिया है.

ब्रिटेन से आने वाले हर यात्री का आरटीपीसीआर टेस्ट एयरपोर्ट पर किया जाएगा. ये फ़ैसला 22 दिसंबर रात 12 बजे से ब्रिटेन से आने वाली सभी उड़ानों के लिए लागू होगा.

कई जानकार इसे पैनिक में लिया गया फैसला बता रहे हैं.

भारत में पैनिक फैलने की एक वजह ये भी है कि जिन 23 देशों के साथ भारत में एयर बब्बल करार है, उसमें से ब्रिटेन भी एक देश है.

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भारत में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने का न्योता भी स्वीकार किया है. वो जनवरी में भारत आने वाले हैं. हाल ही में ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक राब भी भारत का दौरा करके लौटे हैं.

नए स्ट्रेन का कोविड 19 वायरस

भारतीयों को डर था कि दोनों देशों के बीच विमानों की आवाजाही और पैसेंजर के आने-जाने की सहूलियतों की वजह से नए स्ट्रेन का कोविड 19 वायरस भारत तो पहुँच जाएगा.

ये चिंता इसलिए भी थी क्योंकि इसी साल जनवरी के बाद भारत में कोरोना के तेज़ी से फैलने के पीछे विदेश से यात्रा कर लौटे लोगों को बड़ी वजह माना गया था.

दिल्ली, उत्तर प्रदेश, केरल, राजस्थान समेत कई राज्यों में कोरोना के शुरुआती मरीज़ विदेश यात्रा से भारत लौटे लोग ही थे.

उस वक़्त कई जानकारों ने आरोप लगाया कि विदेश से लौटने वालों पर भारत सरकार ने पाबंदी देरी से लगाई थी.

दिल्ली, राजस्थान मुख्यमंत्री ने सोमवार को इस बारे में ट्विटर पर अपनी चिंता भी जाहिर की है. तो महाराष्ट्र के मंत्री भी पीछे नहीं रहे.

एयर बब्बल करार

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र सरकार को इस बात पर आगाह करते हुए सोमवार को दो ट्वीट किए.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार को त्वरित कार्रवाई करते हुए इस बारे में प्लान तैयार करना चाहिए और ब्रिटेन समेत दूसरे यूरोपीय देशों से एयर बब्बल करार को रोक देना चाहिए.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी ट्विटर पर भारत सरकार से अपील करते हुए लिखा कि ब्रिटेन में वायरस का नया स्ट्रेन ‘सुपर- स्प्रेडर’ के तौर पर पेश आ रहा है.

केंद्र सरकार को तत्काल प्रभाव से ब्रिटेन से आने वाले विमानों पर रोक लगानी चाहिए.

ग़ौरतलब है कि पिछले सप्ताह तक दिल्ली में कोरोना की तीसरी लहर चल रही थी. काफ़ी मशक्कत के बाद केंद्र और राज्य सरकार के साझा सहयोग से स्थिति पर काबू पाया गया है.

महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बाला साहब थोराट ने भी फ्लाइट बैन को लेकर ट्वीट किया.

टूरिस्ट वीज़ा पर अब भी रोक है

हालांकि एयर बब्बल व्यवस्था के तहत फिलहाल केवल ओसीआई और पीआईओ कार्डधारकों को हवाई या समुद्र मार्ग से भारत यात्रा की अनुमति दी गई है और टूरिस्ट वीज़ा पर अब भी रोक है.

लेकिन हर महीने ऐसी यात्रा करने वालों की तादाद अभी भी हज़ारों में है.

भारत सरकार के आँकड़ों के मुताबिक़ साल 2021 में जनवरी के महीने में भारत से जाने और भारत को आने वाली लंदन की वंदे भारत एक्सप्रेस की प्रस्तावित फ्लाइट की संख्या तक़रीबन 35 है.

अगर हर फ्लाइट पर औसतन 200 यात्री भी यात्रा कर रहे हों तो कई हज़ार लोग यात्रा करते हैं. यूरोप के दूसरे देशों की फ्लाइट्स और प्राइवेट ऑपरेटर्स को जोड़ दिया जाए तो ये संख्या और भी बढ़ जाएगी.

लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन के मुताबिक़ वायरस की नई स्ट्रेन को लेकर अभी पैनिक करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्री का बयान

सोमवार को उन्होंने कहा, “ये इमैजिनरी सिचुएशन है, इमैजिनरी बातें और इमैजिनरी पैनिक है. इन सब के अंदर आप अपने आप को मत उलझाएं. सरकार हर बात के लिए पूरी तरह से सजग है. अभी इतना पैनिक करने की आवश्यकता नहीं है कि साइंस फेस्टिवल में इस विषय पर चर्चा करें. ऐसा करने पर जबरदस्ती पैनिक ज़रूर फैल जाएगा.”

डॉ. हर्षवर्धन इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. लेकिन एक के बाद एक संवाददाताओं ने चार सवाल ब्रिटेन की नई वायरस स्ट्रेन को लेकर पूछा. उसी के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने ये बात कही.

भारत में आज की तारीख में तकरीबन तीन लाख कोरोना पॉज़िटिव मरीज़ हैं. पिछले 24 घंटे में 25 हज़ार से ज़्यादा मरीज़ ठीक हुए हैं. फिलहाल देश में 95 फीसदी से ऊपर रिकवरी रेट है.

कोरोना वायरस की नई स्ट्रेन

कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन लंदन और दक्षिण-पूर्वी इंग्लैंड में तेज़ी से फैल रहा है.

दावा है कि ये पहले वाले वायरस के मुक़ाबले 70 प्रतिशत अधिक संक्रामक है. हालांकि अभी वायरस के ज़्यादा गंभीर लक्षण या वैक्सीन पर असरदार होने को लेकर कुछ भी पुख़्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता है.

इसको देखते हुए कनाडा, आयरलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड्स, बेल्जियम समेत तकरीबन 10 देशों ने सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं.

ऐसा करने वाले देशों की तादाद बढ़ती ही जा रही है.

सोमवार सुबह भारत सरकार ने भी स्थिति पर चर्चा करने के लिए आपात बैठक बुलाई जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के अधिकारी ने भी हिस्सा लिया. भारत सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक ने इस बैठक की अध्यक्षता की है.

उसी बैठक के बाद भारत सरकार ने ब्रिटेन से 31 दिसंबर तक ट्रैवल बैन का फैसला लिया है.

एयर बब्बल व्यवस्था क्या है?

यह एक ख़ास तरह का एयर कॉरिडोर होता है जिसके ज़रिए दो देश आपसी सहमति से हवाई यात्रा करने का समझौता करते हैं.

कोरोना के कारण अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर पाबंदी लगी हुई है, ऐसे में एयर बबल्स के ज़रिए कोई भी दो देश ज़रूरी शर्तों को ध्यान में रखते हुए एयर बबल्स के ज़रिए अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मंज़ूरी दे सकते हैं.

भारत में कोरोना के कारण 23 मार्च के बाद से अंतरराष्ट्रीय यात्री उड़ानों पर पाबंदी लगा दी गई थी.

हालांकि भारत सरकार ने 22 अक्टूबर से सभी विदेशी नागरिकों के साथ-साथ सभी ओसीआई और पीआईओ कार्डधारकों को हवाई या समुद्र मार्ग से भारत की यात्रा करने की अनुमति दे दी है. हालांकि पर्यटक वीज़ा पर विदेशियों के भारत आने पर रोक अब भी बरकरार है.

भारत सरकार ने 23 देशों के साथ एयर बबब्ल करार किया है.

ब्रिटेन और यूरोप से फ्लाइट बैन पर जानकारों की राय अलग-अलग

आईसीएमआर के साथ में पूर्व में जुड़े महामारी विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉक्टर रमन गंगाखेडकर कहते हैं फिलहाल ब्रिटेन में पाई गई वायरस की नई स्ट्रेन डेनमार्क, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया और इटली में भी पाया गया है. दक्षिण अफ्रीका में भी मिलती जुलती स्ट्रेन मिलने की बात सामने आ रही है. पूरे यूरोप में ट्रैवल एक दूसरे देश से बहुत हद तक जुड़ा हुआ है. इसलिए यूरोप के दूसरे देशों में ब्रिटेन वाला नया वायरस स्ट्रेन मिलने की ख़बर आने पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

इसलिए ज़्यादातर ब्रिटेन से आने-जाने वाली फ्लाइट, यूरोप के देश ही बैन कर रहे हैं.

डॉक्टर रमन गंगाखेडकर आगे कहते हैं, “भारत में ब्रिटेन और यूरोप से ट्रैवल बैन का निर्णय लेने के लिए दो बातों पर सरकार को ग़ौर करना होगा. ब्रिटेन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस नए वायरस स्ट्रेन के लिए कैसा और क्या प्रमाण दिया है. अगर ये केवल लैब बेस्ड प्रमाण है तो हमें थोड़ा रुक कर नए वायरस स्ट्रेन का मानव जाति पर असर और प्रमाण का इंतज़ार करना चाहिए. केवल लैब में बैठ कर नए वायरस स्ट्रेन के संक्रमण दर पर शोध करेंगे, तो मानव जाति पर उसके पूरे असर और प्रमाण के बारे में पता नहीं कर पाएंगे. अभी तक ये भी नहीं पता है कि नया वायरस कितना घातक है.”

“भारत सरकार को चाहिए कि वो सबसे पहले ये पता करे कि क्या नया वायरस स्ट्रेन भारत में मौजूद है या नहीं. भारत सरकार पहले से कोरोना वायरस के लिए मॉलिक्यूलर एपिडेमोलॉजिकल सर्विलांस कर ही रही है. ऐसे में भारत में ये नया स्ट्रेन मौजूद है या नहीं ये पता लगाने में 24 से 36 घंटे का वक़्त लगेगा. अगर ये स्ट्रेन भारत में पहले से मौजूद है तो ब्रिटेन और यूरोप से फ्लाइट बैन करके कुछ हासिल नहीं होगा.”

ग़ौरतलब है कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के कारण क्रिसमस से पहले ब्रिटेन में कड़े प्रतिबंध लागू कर दिए है. इसे वायरस के प्रसार को कुछ इलाकों तक सीमित रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

लेकिन अगर देश में नया वैरिएंट नहीं आया हो तो क्या फ्लाइट बैन करना ठीक है?

इस पर रमन गंगाखेडकर कहते हैं, “उसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने ब्रिटेन ने जो आँकड़े और प्रमाण रखे हैं, उसको देखना होगा. ये प्रमाण पब्लिक की जानकारी में नहीं है. केवल बयानों के आधार पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता. विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बारे में कुछ बता दे तो फैसला लेने में दूसरे देशों को आसानी होगी.”

वायरस के नए वेरिएंट के बारे में पूरी तरह जाने अचानक से फ्लाइट बैन का फैसला लेना ऐसा ही है जैसे आँख बंद कर कोई तीन सीढ़ी नीचे आपको कोई छलाँग लगाने को कहे. अभी नए वेरिएंट के बारे में पता चले केवल 36 घंटे ही हुए हैं.”

गौरतलब है कि रमन गंगाखेडकर से ये बातचीत भारत सरकार के फैसले के पहले की है.जगदीश प्रसाद भारत सरकार की स्वास्थ्य सेवा विभाग के महानिदेशक रह चुके हैं

लेकिन भारत में पूर्व में डायरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विस के पद पर रहे जगदीश प्रसाद, रमन गंगाखेडकर की बात से इत्तेफ़ाक नहीं रखते.

वो कहते हैं, “भारत को तुंरत ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट बंद कर देना सही क़दम है. हमने पहले भी फ्लाइट बंद ना करने की कीमत चुकाई है. इसके पहले जब दुनिया में इबोला वायरस फैल रहा था, उस वक़्त हमारे देश में वो पैर नहीं पसार पाया. उस वक़्त हमने अफ्रीका से आने वाले सभी फ़्लाइट बैन तुरंत कर दिया था.”

जगदीश प्रसाद साल 2011 से 2018 तक भारत के स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक के तौर पर कार्यरत रहे थे.

उनका कहना है कि ब्रिटेन में जो वायरस का नया वेरिएंट पाया गया है, उसके बारे में जब तक ज़्यादा जानकारी नहीं मिल जाती तब तक के लिए हमारे पास यही विकल्प है. इसके अलावा वहाँ से हाल में आए लोगों को टेस्ट, ट्रेस और आइसोलेट भी करना होगा. इस बीच भारत के वैज्ञानिकों को नए वायरस वेरिएंट के बारे में शोध करते रहने की ज़रूरत है, ताकि वायरस की नई स्ट्रेन के चाल चरित्र के बारे में जानकारी मिल सके.

Source : bbc.com/hindi

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