0 0
Read Time:6 Minute, 2 Second

मुजफ्फरपुर, उत्तर बिहार में कई ऐसे मन (जलाशय) हैं, जो पर्यटन को समृद्ध कर रहे हैं। इनमें पश्चिम चंपारण का अमवा मन व सरैया मन तथा पूर्वी चंपारण के मोतिहारी स्थित मोतीझील प्रमुख हैं। सभी को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जा रहा है। अमवा मन में वाटर स्पोर्ट्स की शुरुआत हो चुकी है। अन्य जगह भी काम हो रहा है।

राज्य का पहला वाटर स्पोर्ट्स जोन

अमवा मन में राज्य के पहले वाटर स्पोर्ट्स जोन की शुरुआत बीते दिनों राज्य के पर्यटन मंत्री नारायण प्रसाद एवं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद डा. संजय जायसवाल ने किया था। 175 एकड़ में फैले अमवा मन में पैरासेलिंग बोट, वाटर स्कूटर, कयाक (छोटी नाव), पैडल बोट, फ्लोटिंग जेट्टी (तैरता घाट) आदि की व्यवस्था है। इन्हें मुंबई से मंगाया गया है। वहीं से आई 10 सदस्यीय टीम इनका संचालन कर रही है।

वाटर स्कूटर के लिए देने होंगे 400 रुपये

पर्यटन विभाग ने वाटर स्पोर्ट्स के लिए अलग-अलग शुल्क निर्धारित किए हैं। इसमें सभी तरह की बोटिंग के लिए 100 रुपये है। वाटर स्कूटर आम लोगों के लिए 400 तो छात्रों के लिए 300 रुपये निर्धारित है। पैरासेलिंग का प्रति व्यक्ति टिकट 800 रुपये है। जो पर्यटक गोवा एवं अंडमान निकोबार जाते हैं, वहां उन्हें करीब दो हजार रुपये देने पड़ते हैं। यहां रेस्क्यू टीम भी तैनात रहेगी। आपात स्थिति के लिए चार गोताखोरों के साथ एक मेडिकल टीम मुस्तैद रहेगी। जिलाधिकारी कुंदन कुमार के अनुसार वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और गांधीजी से जुड़े स्थलों पर आनेवाले पर्यटकों के लिए अमवा मन को एक और प्वाइंट के रूप में विकसित किया जा रहा है। यहां पर्यटकों के ठहरने, खाने-पीने, पार्किंग, कपड़ा बदलने के लिए रूम की व्यवस्था की जा रही है। आने वाले दिनोंं में नाव पर कैफेटेरिया बनाने की भी पहल होगी।

आवागमन की सुविधा आसान

वीटीआर से करीब 100 किलोमीटर दूर अमवा मन जिला मुख्यालय बेतिया से करीब 25 किलोमीटर दूर है। राजधानी पटना से सड़क मार्ग से करीब 200 किलोमीटर की दूरी पर है। मुजफ्फरपुर-गोरखपुर रेलखंड पर बेतिया का जुड़ाव ट्रेन से भी है। वैसे ट्रेन से आनेवाले यात्री सुगौली स्टेशन उतर सकते हैं, यहां से अमवा मन की दूरी 10 किलोमीटर है। उत्तर प्रदेश का कुशीनगर एयरपोर्ट यहां से करीब 100 और दरभंगा 160 किलोमीटर की दूरी पर है।

त्रिवेणी नहर में करें नौकायन

वाल्मीकिनगर में 57 वर्ष से मृत पड़ी त्रिवेणी नहर को जीवन देकर यहां नौकायन की व्यवस्था की गई है। वीटीआर में मृत पड़ी करीब तीन किलोमीटर लंबी नहर की सफाई के बाद इसकी खूबसूरती देखते बन रही है। नौकायन की व्यवस्था की देखरेख वन विभाग कर रहा है। कुल 12 नाविक यहां लगाए गए हैं। छह नावों की व्यवस्था है। नौकायन की दर 25 से 30 रुपये तक है।

पक्षियों व पेड़-पौधों से परिपूर्ण है सरैया मन का इलाका

सरैया मन को ईको पर्यटन के रूप में विकसित किया जा रहा है। यह बैरिया प्रखंड के उदयपुर वनाश्रयी के मध्य में स्थित है। यह करीब 2200 एकड़ में विस्तृत है। ठंड में प्रवासी पक्षी आते हैं। मन के चारों ओर जंगल है। इस जगह की भव्यता एवं सुंदरता के चलते इसे वन विभाग पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित कर रहा है। ईको पर्यटन के विकास के तहत पर्यटकों के ठहरने, खाने आदि के साथ बोटिंग की व्यवस्था की जा रही है। पक्षी समेत अन्य जीवों का प्राकृतिक आवास विकसित करने के लिए करीब 50 लाख की राशि स्वीकृत की गई है।

मोतीझील में नौका विहार की व्यवस्था जल्द

497 एकड़ में फैले मोतिहारी के मोतीझील को भी पर्यटन स्पाट के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसका सुंदरीकरण हो रहा है। करीब 10 लाख रुपये की लागत से फाउंटेन लाइट लगाई गई है। शाम ढलने के बाद झील का मनोरम दृश्य लोगों को लुभाता है। रोइंग क्लब से मिस्कौट तक टू-लेन सड़क का निर्माण हो रहा है। 21 करोड़ की लागत से सड़क के साथ वाल व घाट का निर्माण होगा। यहां तीन ड्रैगन बोट की व्यवस्था की गई है। बीते साल नौका दौड़ का आयोजन किया गया है। नौका विहार की यहां जल्द ही व्यवस्था हो जाएगी।

इनपुट : जागरण

Advertisment

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: