बिहार के जमुई जिले की रहने वाली एक स्कूली बच्ची सीमा सड़क हादसे में दिव्यांग हो गई थी, लेकिन पढ़ाई के जुनून में एक पैर के सहारे पैदल ही एक किलोमीटर की दूरी तय कर रोजाना स्कूल जाती थी. जब उसके स्कूल जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो सहारा देने वालों के हाथ उठे. जमुई की इस बेटी को सोशल मीडिया पर देखने के बाद मदद के लिए फिल्म अभिनेता सोनू सूद, मंत्री अशोक चौधरी, सुमित सिंह सहित कई लोग सामने आ गए. सीमा पढ़-लिख कर शिक्षिका बनना चाहती है. उसकी पीड़ा को कम करने और अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए बिहार शिक्षा परियोजना के द्वारा पहल की गई. बीईपी के पहल पर भागलपुर में संचालित कृत्रिम अंग निर्माण केंद्र ने सीमा के सपनों को साकार कराने में अहम भूमिका निभाई.

25 मई को मिली थी जानकारी

पेस्थोटेक्टिकस एंड ऑर्थोटेक्टिक्स (पीओआई) की टीम ने एक नया कृत्रिम पैर सीमा के लिए बनाया. सीमा के कृत्रिम पैर निर्माण को लेकर लैब के इंजीनियर सुमंत कुमार सिंह ने बताया कि 25 मई को जिले के डीपीओ देवेंद्र नारायण पंडित ने उन्हें सीमा की समस्या से अवगत कराया और कृत्रिम पैर का जल्द निर्माण करने की बात कही.

लगातार 12 घंटे काम करके बनाया पैर

सुमंत सिंह ने बताया कि समय कम था और बिजली की समस्या के कारण भी सीमा के कृत्रिम पैर का निर्माण काफी चुनौतीपूर्ण रहा. उन्होंने बताया कि डीपीओ का निर्देश मिलते ही उनकी टीम पैर के निर्माण में फौरन जुट गई. टीम में सुमंत कुमार (पीओई) शालिनी, अरविंद, रंजीत कुमार झा, प्रवीण कुमार शामिल थे. इस टीम ने 12 घंटे लगातार काम करके कृत्रिम पैर का निर्माण किया और 26 मई को जमुई भेज दिया. जहां 27 मई को सीमा को दूसरा पैर लगा दिया गया.

8 साल पुराना है कृत्रिम अंग केंद्र

सुमंत कुमार सिंह ने बताया कि भागलपुर का यह कृत्रिम अंग केंद्र 8 वर्ष पुराना है. यहां से जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, जमुई, मुंगेर, बेगूसराय, बांका जिले के कृत्रिम अंग का निर्माण किया जाता है. उन्होंने कहा कि अबतक इस केंद्र द्वारा निर्माण किए कृत्रिम अंग से 1500 लोग लाभान्वित हो चुके हैं. बिहार के जमुई की दिव्यांग बिटिया सीमा अब दोनों पैरों चल रही है और स्कूल जा रही है.

इनपुट : आज तक

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