राज्य में विलुप्त होने वाले पक्षियों और जैव विविधता के संरक्षण के लिए पक्षियों की गणना फरवरी 2023 से शुरू होगी. पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा कराये जाने वाले इस गणना का रिजल्ट मई 2023 तक आ जायेगा. पिछली बार के मुकाबले इस बार गणना में करीब 100 वेटलैंड्स को शामिल किया जायेगा. इस गणना में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के वैज्ञानिकों का सहयोग लिया जायेगा. सूत्रों के अनुसार गणना में विदेशी पक्षियों को भी शामिल किया जायेगा. इस समय कई जिलों के चौरों में विदेशी पक्षी झुंड -के -झुंड दिख रहे हैं. ऐसे में विदेशी पक्षियों की गणना कर उनके बार में जानकारी जुटा कर उसे सुरक्षित रखा जायेगा.

24 दिसंबर को पटना में बैठक

सूत्रों के अनुसार इस गणना की रूपरेखा तय करने के लिए दूसरी बैठक 24 दिसंबर को पटना में है. इस बैठक के बाद गणना में काम करने वालों को प्रशिक्षण दिया जायेगा. साथ ही कार्ययोजना तैयार कर गणना शुरू की जायेगी. इसमें पक्षी गणना तकनीक का उपयोग किया जायेगा. इसके तहत वन्य प्राणी फोटोग्राफी कैमरा और दूरबीन की भी मदद ली जायेगी.

पहली बार इसी साल हुई थी गणना

राज्य में पक्षियों के गणना की शुरुआत 2022 में हुई है. इसमें करीब 68 चौरों में पक्षियों की गिनती में 146 घंटे 22 मिनट लगे थे. गणना में कुल 45,173 पक्षी पाये गये थे, जिनमें 39,937 जलीय पक्षी हैं. इनमें सबसे अधिक जलीय पक्षियों की 80 प्रजातियां थीं, जिनकी संख्या करीब 39,937 है और जमीन पर दिखने वाले पक्षियों से अधिक.

इन चौरों को प्रमुखता से किया जायेगा शामिल

पूर्वी चंपारण का सरोतर लेक, सहरसा का बोरा चौर, औरंगाबाद स्थित इंद्रपुरी बराज वाला हिस्सा, भागलपुर का जगतपुर लेक, भागलपुर का गंगा प्रसाद लेक, बांका का ओढ़नी डैम, जमुई का नागा-नकटी डैम, जमुई का गढ़ी डैम, कटिहार का गोगाबिल लेक, मुजफ्फरपुर का बतरौलिया चौर, वैशाली का बरेला, बेगूसराय जिले में कांवर, दरभंगा का कुशेश्वरस्थान, मुजफ्फरपुर जिले में मोती झील, पश्चिम चंपारण स्थित उदयपुर का सरैयामन, पश्चिम चंपारण में गौतम बुद्ध पक्षी अभ्यारण्य विहार, बांका में ओढ़नी डैम, मुंगेर जिले में खड़गपुर व कुकुरझार, राजगीर का पुष्करणी तालाब और ऑर्डिनेंस फैक्टरी, सुपौल में कोसी का पूरा दियारा शामिल होने की संभावना है.

इनपुट : प्रभात खबर

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