पंचतत्व में विलीन हुए मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के भीष्म पितामह रामशरण सिंह।

पंचतत्व में विलीन हुए मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के भीष्म पितामह रामशरण सिंह।

पुत्र राकेश कुमार सिंह उर्फ टुन्ना सिंह ने दी मुखाग्नि, सिकंदरपुर मुक्तिधाम में संपन्न हुआ अंतिम संस्कार

मुजफ्फरपुर, 06 नवंबर: मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता, एडवोकेट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं महासचिव रामशरण सिंह का गुरुवार सुबह पंचतत्व में विलीन हो गया। उनके पुत्र राकेश कुमार सिंह उर्फ टुन्ना सिंह ने सिकंदरपुर मुक्तिधाम में मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार में सैकड़ों अधिवक्ता, समाजसेवी और ग्रामीण उपस्थित रहे। बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग के निबंधक (अवकाश प्राप्त न्यायाधीश) शैलेंद्र कुमार सिंह ने फोन पर शोक संवेदना व्यक्त की।

रामशरण सिंह के प्रवक्ता एवं मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने उनके जीवन वृत्तांत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि रामशरण बाबू ने अपने करियर की शुरुआत पटना में मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पद से की। कुछ महीनों बाद त्यागपत्र देकर वे पारु हाई स्कूल में शिक्षक बने, लेकिन वहां भी कुछ माह बाद नौकरी छोड़ दी। इसके बाद पूर्वी चंपारण के राजेपुर हाई स्कूल में प्रधानाध्यापक और जैतपुर कॉलेज में राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक के रूप में कार्य किया। वर्ष 1968 में उन्होंने मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में अधिवक्ता के रूप में प्रैक्टिस शुरू की।

राजनीतिक जीवन में भी उन्होंने उल्लेखनीय योगदान दिया। अपने गांव उस्ती सिंगाही पंचायत से मुखिया चुनाव लड़ा और निर्विरोध 30 वर्षों तक इस पद पर रहे। वे जिला मुखिया संघ के अध्यक्ष भी चुने गए। सीपीआईएम के बिहार स्तर के प्रमुख नेता रहे। एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने उन्हें महाराष्ट्र बुलाकर मुजफ्फरपुर जिले का जिलाध्यक्ष नियुक्त किया।

वकालत में उनकी ख्याति चरम पर पहुंची तो उन्होंने जिला अधिवक्ता संघ के चुनाव में सक्रिय भागीदारी की। परिणामस्वरूप, 33 वर्षों तक निर्विरोध अध्यक्ष और महासचिव रहे। अधिवक्ताओं के हितों के लिए हमेशा मजबूती से खड़े रहे। पुराने अधिवक्ता बताते हैं कि वर्तमान एडवोकेट्स एसोसिएशन भवन की जगह पहले मोख्तार खाना नामक खपरैल भवन था, जो एक दिन गिर गया। तब अधिवक्ताओं को बैठने में भारी असुविधा हुई। रामशरण बाबू ने सहयोगियों के साथ जनप्रतिनिधियों से मिलकर सहयोग जुटाया और नए भवन का निर्माण कराया। मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट में उन्हें ‘भीष्म पितामह’ की उपाधि दी जाती थी।

अंतिम संस्कार में मुख्य रूप से जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार लाल, महासचिव उमेश प्रसाद सिंह, विजय कुमार शाही, नवल प्रसाद सिंह, भोलेनाथ वर्मा, राजीव रंजन, राजू रंजन, मुकेश ठाकुर, कबीर राज, अजय कुमार, सोनू पाण्डेय सहित सैकड़ों अधिवक्ता, समाजसेवी और ग्रामीण शामिल हुए।रामशरण सिंह के निधन से अधिवक्ता जगत और समाज में शोक की लहर है।