लोको पायलटों के लिए बेहतर सुविधाएं: भारतीय रेलवे ने बदली कार्यशैली।

लोको पायलटों के लिए बेहतर सुविधाएं: भारतीय रेलवे ने बदली कार्यशैली।

भारतीय रेलवे का अभिन्न अंग हैं लोको पायलट, जिनके बिना रेल नेटवर्क की रीढ़ अधूरी है। पिछले एक दशक में उनके कार्य वातावरण और सुविधाओं में क्रांतिकारी सुधार देखने को मिले हैं। आइए, जानते हैं कैसे भारतीय रेलवे ने लोको पायलटों के लिए कार्यस्थल को और बेहतर बनाया है।

वातानुकूलित रनिंग रूम: आरामदायक विश्राम की गारंटी
पिछले 10 वर्षों में भारतीय रेलवे ने सभी रनिंग रूम को वातानुकूलित (एसी) कर दिया है। ये रनिंग रूम अब आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं, जो लोको पायलटों को ड्यूटी के बाद बेहतर विश्राम प्रदान करते हैं। गौरतलब है कि 2014 से पहले देश में एक भी रनिंग रूम एसी नहीं था।

लोको केबिन में उन्नयन: एर्गोनोमिक डिज़ाइन और कंफर्ट
लोको पायलटों के कार्यस्थल यानी लोको केबिन को भी अपग्रेड किया गया है। आधे से अधिक लोको केबिन अब एर्गोनोमिक सीटों, वातानुकूलन और अन्य आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं। यह बदलाव लंबी ड्यूटी के दौरान थकान कम करने में मददगार साबित हो रहा है। 2014 से पहले किसी भी लोको केबिन में एसी की सुविधा नहीं थी।

शौचालय सुविधा: मानवीय जरूरतों का ख्याल
नए लोकोमोटिव्स में अब शौचालय की सुविधा अनिवार्य रूप से शामिल की जा रही है, जो पहले निर्माण योजना का हिस्सा नहीं थी। पुराने लोकोमोटिव्स में भी रेट्रोफिटिंग के जरिए शौचालय लगाए जा रहे हैं, जिसके लिए डिज़ाइन में व्यापक संशोधन किए गए हैं।

नए रनिंग रूम और कम कार्य घंटे
उच्च ट्रैफिक वाले मार्गों पर नए रनिंग रूम बनाए गए हैं, जिससे लोको पायलटों के कार्य घंटों में उल्लेखनीय कमी आई है। यह कदम न केवल उनके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि कार्य-जीवन संतुलन को भी बढ़ावा देता है।

सुरक्षा और तकनीकी उन्नयन: कवच और फॉग-सेफ्टी डिवाइस
रेलवे ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए फॉग-सेफ्टी डिवाइस, कवच प्रणाली, ड्राइवर अलर्ट सिस्टम और उन्नत ब्रेकिंग सिस्टम जैसी तकनीकों को अपनाया है। ये नवाचार न केवल रेल संचालन को सुरक्षित बनाते हैं, बल्कि लोको पायलटों को मानसिक शांति भी प्रदान करते हैं।

ऑन-बोर्ड सुविधाएं: टॉयलेट ब्रेक और स्नैक्स की व्यवस्था
मालगाड़ी, उपनगरीय ट्रेन, पैसेंजर और मेल एक्सप्रेस ट्रेनों के लोको पायलटों के लिए टॉयलेट ब्रेक और स्नैक्स की पूरी व्यवस्था है। मालगाड़ियां विभिन्न स्टेशनों और यार्ड में रुकती हैं, जहां कर्मचारियों को शौचालय और नाश्ते के लिए पर्याप्त समय मिलता है। उपनगरीय और मेट्रो ट्रेनें अल्प दूरी के लिए चलती हैं, और उनके चालक दल टर्मिनल स्टेशनों पर शौचालय का उपयोग करते हैं। पैसेंजर ट्रेनों में लोको पायलट स्टेशन पर रुकने के दौरान ट्रेन के शौचालय का उपयोग करते हैं और स्नैक्स के लिए भी समय निकालते हैं।

सहयोग और संचार: वॉकी-टॉकी की सुविधा
लोको पायलटों को वॉकी-टॉकी प्रदान किए गए हैं, जिससे वे स्टेशन कर्मचारियों के साथ त्वरित संपर्क में रहते हैं। स्टेशन कर्मचारी भी लोको पायलटों को हरसंभव सहायता प्रदान करते हैं, जिससे कार्य सुगम होता है।

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *