देशभर में सरकारी विद्यालयों के रसोइयों का आक्रोश: हड़ताल और प्रदर्शन के साथ मांगें बुलंद।

देशभर में सरकारी विद्यालयों के रसोइयों का आक्रोश: हड़ताल और प्रदर्शन के साथ मांगें बुलंद।

मुजफ्फरपुर, मंगलवार को देशभर के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत रसोइयों ने अपनी अनसुनी मांगों को लेकर अखिल भारतीय स्तर पर हड़ताल और आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन किया। अखिल भारतीय उत्थान समिति (एआईयूटीयूसी) सहित 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के समर्थन में रसोइयों ने जिलाधिकारी कार्यालयों के समक्ष अपनी मांगों को जोरदार तरीके से उठाया। यह आंदोलन केंद्र और राज्य सरकारों की उन नीतियों के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बना, जो रसोइयों के हक और सम्मान को लगातार अनदेखा कर रही हैं।

रसोइयों की दयनीय स्थिति
मध्याह्न भोजन योजना के तहत सरकारी विद्यालयों में बच्चों के लिए भोजन तैयार करने वाले रसोइये बेहद कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं। इन्हें प्रति माह मात्र 1,650 रुपये का मानदेय दिया जाता है, जो साल में केवल 10 महीने मिलता है। बढ़ती महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, आवास किराए और दैनिक उपभोग की वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि के बीच रसोइयों का जीवन-यापन संकटग्रस्त हो गया है। केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों को रसोइये अपनी बदहाली का प्रमुख कारण मानते हैं।


मजदूर अधिकारों पर संकट
ऐतिहासिक रूप से मजदूरों ने लंबे आंदोलनों के बल पर आठ घंटे कार्यदिवस, पेंशन, भविष्य निधि (पीएफ), बोनस, ग्रेच्युटी, कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई), छुट्टियाँ और सामाजिक सुरक्षा जैसे अधिकार हासिल किए थे। हालांकि, हाल के वर्षों में सरकार द्वारा लागू चार मजदूर विरोधी लेबर कोड और नई पेंशन स्कीम (एनपीएस-यूपीएस) के जरिए इन अधिकारों को धीरे-धीरे छीना जा रहा है। सरकारी विद्यालयों के रसोइये भी इन नीतियों का शिकार बन रहे हैं। लंबे समय से धरना-प्रदर्शन के बावजूद उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है।


20 मई की हड़ताल: एकजुटता का प्रदर्शन
20 मई 2025 को रसोइयों ने देशभर में जिलाधिकारी कार्यालयों के सामने आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन कर अपनी मांगों को दोहराया। एआईयूटीयूसी और 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के समर्थन से यह हड़ताल मजदूर वर्ग के व्यापक संघर्ष का हिस्सा बनी। रसोइयों ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगे।

रसोइयों की प्रमुख मांगें
रसोइयों ने अपनी मांगों को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया है, जिनमें शामिल हैं:
• रसोइयों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा प्रदान किया जाए।

• प्रति माह 26,000 रुपये का न्यूनतम वेतन तत्काल लागू किया जाए।

• पेंशन, पीएफ, ईएसआई, छुट्टियाँ और सामाजिक सुरक्षा के लाभ सुनिश्चित किए जाएँ।

• रसोइयों को पूरे 12 महीने का मानदेय दिया जाए।

• मृतक रसोइयों के परिजनों को 4 लाख रुपये का मुआवजा तुरंत प्रदान किया जाए।

• मध्याह्न भोजन योजना को एनजीओ के हवाले करने की प्रक्रिया बंद की जाए।

• रसोइयों की सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष की जाए।

• विद्यालयों में भोजन गैस पर तैयार करने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

• बकाया मानदेय का भुगतान और नियमित मासिक भुगतान की गारंटी दी जाए।

• रसोइया यूनियनों के निबंधन को सुनिश्चित किया जाए।

आंदोलन का व्यापक महत्व
रसोइयों का यह आंदोलन केवल उनकी आजीविका और सम्मान की लड़ाई नहीं है, बल्कि यह मध्याह्न भोजन योजना के माध्यम से लाखों बच्चों के पोषण और शिक्षा के अधिकार से भी जुड़ा है। रसोइये इस योजना की रीढ़ हैं, फिर भी उनकी मेहनत का उचित सम्मान और मूल्यांकन नहीं हो रहा। इस हड़ताल को समर्थन देते हुए ट्रेड यूनियनों ने सभी मजदूर संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम जनता से अपील की है कि वे इस आंदोलन में शामिल होकर इसे सफल बनाएँ।


आगे की राह
रसोइयों ने स्पष्ट किया है कि उनकी मांगें केवल उनके लिए नहीं, बल्कि समाज के उस बड़े वर्ग के लिए हैं जो मेहनतकश होते हुए भी उपेक्षित है। यदि सरकार उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लेती, तो रसोइये आंदोलन को और व्यापक करने की चेतावनी दे रहे हैं।