मुजफ्फरपुर: 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत के बाद बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में उभरा। इस युद्ध के दौरान 54 भारतीय सैनिकों और अधिकारियों को ‘Missing in Action’ या ‘Killed in Action’ घोषित किया गया था। माना जाता है कि ये सैनिक आज भी जीवित हैं और पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में कैद हैं। इस मामले को लेकर मुजफ्फरपुर के मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) में याचिका दायर की है और भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।
अधिवक्ता झा ने बताया कि उन्होंने इस मुद्दे को पहले भी उठाया था। तब विदेश मंत्रालय की पाकिस्तान डेस्क की अवर सचिव नेहा सिंह ने पत्र के माध्यम से सूचित किया था कि भारत सरकार 83 लापता सैनिकों की रिहाई और स्वदेश वापसी के लिए पाकिस्तान के साथ राजनयिक स्तर पर लगातार प्रयास कर रही है। इनमें 1971 के युद्ध के बंदी भी शामिल हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तान की हिरासत में हैं। हालांकि, पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में किसी भी भारतीय सैनिक की मौजूदगी को स्वीकार नहीं किया है।
झा ने कहा, “यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। हम उम्मीद करते हैं कि NHRC और भारत सरकार इस मामले में त्वरित कार्रवाई करेगी। यह मामला न केवल सैनिकों के परिवारों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए संवेदनशील है। अधिवक्ता ने आशा जताई कि उनके प्रयास रंग लाएंगे और कैद सैनिक जल्द अपने वतन लौट सकेंगे।