मुजफ्फरपुर, 11 अप्रैल 2025: शहर के आध्यात्मिक आलम में एक बार फिर रौनक छाई, जब हजरत दाता कंबल शाह रहमतुल्लाह अलैह का 143वां सालाना उर्स पूरे जोश और श्रद्धा के साथ मनाया गया। इस मौके पर शुक्रवार को टाउन थाना से गाजे-बाजे के साथ निकला भव्य चादर जुलूस शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा। जुलूस ने नगर थाना से शुरू होकर मोतीझील, कल्याणी और अन्य प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए मजार शरीफ पर पहुंचकर चादरपोशी की रस्म अदा की। इस दौरान ग्रामीण एसपी विद्यासागर, सिटी एसपी, टाउन सीडीपीओ-1 सीमा देवी, नगर थाना अध्यक्ष शरत कुमार सहित पुलिस प्रशासन के तमाम अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे।
ब्रिटिश काल से चली आ रही परंपरा
हजरत दाता कंबल शाह का उर्स मुजफ्फरपुर में आस्था और सौहार्द का प्रतीक रहा है। ब्रिटिश काल से शुरू हुई चादरपोशी की यह परंपरा आज भी उतने ही उत्साह के साथ निभाई जा रही है। टाउन थाना में चादर को फातिहा पढ़कर जुलूस की शुरुआत हुई, जो शहर के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धा का रंग बिखेरता हुआ मजार शरीफ तक पहुंचा। मजार पर सुबह से ही कुरानखानी और फातिहाखानी का सिलसिला शुरू हो गया था, जहां दूर-दराज से आए अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ पड़ा।
शांति और एकता का संदेश
ग्रामीण एसपी विद्यासागर ने इस अवसर पर कहा, “हजरत दाता कंबल शाह का उर्स न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह मुजफ्फरपुर में अमन-चैन और भाईचारे का प्रतीक भी है। यह परंपरा हमें एकजुटता का संदेश देती है। हमारी दुआ है कि यह शहर और देश हमेशा शांति और समृद्धि के पथ पर अग्रसर रहे।”
वहीं, सिटी एसपी ने उर्स की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यह एक ऐसी परंपरा है जो हमें आपसी प्रेम और शांति की सीख देती है। चादर जुलूस के माध्यम से हम ऊपरवाले से दुआ मांगते हैं कि हमारे शहर में सुख-शांति बनी रहे। यह आयोजन हर साल हमें एकता का पाठ पढ़ाता है।
अकीदतमंदों का उत्साह
उर्स के मौके पर मजार शरीफ पर अकीदतमंदों की भीड़ सुबह से ही देखने को मिली। बच्चे, बूढ़े, और जवान, सभी अपनी-अपनी अकीदत के साथ चादरपोशी और दुआ में शरीक हुए। स्थानीय निवासी रमेश कुमार ने बताया, “यह उर्स हमारे लिए सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है। यहां हर धर्म के लोग एक साथ आते हैं और शांति की दुआ मांगते हैं।”
शहर में उत्सव का माहौल
चादर जुलूस के दौरान शहर का माहौल पूरी तरह उत्सवी रहा। गलियों में गूंजते नात और कव्वालियों ने माहौल को और भी रुहानी बना दिया। जुलूस में शामिल लोग एक-दूसरे के साथ खुशी और भाईचारे का संदेश साझा करते नजर आए। यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता को भी मजबूत करने का एक अनुपम उदाहरण बन गया।
आगे की राह
हजरत दाता कंबल शाह का उर्स मुजफ्फरपुर के लिए एक ऐसी विरासत है, जो हर साल शहरवासियों को आपसी प्रेम और शांति की प्रेरणा देती है। यह आयोजन न सिर्फ आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे परंपराएं और आस्था एक समाज को एकजुट रख सकती हैं। जैसे-जैसे यह परंपरा अगली पीढ़ियों तक पहुंचेगी, उम्मीद है कि यह शांति और सौहार्द का संदेश और भी मजबूती से फैलाएगी।